Sant Ravidas ji

3 Sant Ravidas ji Maharaj ki kahani | संत रविदास जी कहानी

 

 संत रविदास जी की अद्भुत कहानी

दोस्तों आज हम पढ़ने वाले हैं संत रविदास की कुछ अद्भुत कहानी जिसका मिश्रण में इस ब्लॉग में लिख रहा हूं आप सभी पढ़कर मुझे जरूर कमेंट करेंगे कि यह कहानी आपके जीवन में किस-किस काम आ सकती हैं ,संत रविदास जी के बारे में जानते हैं कौन सी अद्भुत कहानी है जो संत रविदास जी को संत रविदास जी बनाती है

संत रविदास जी भारतीय संत परंपरा के महान संतों में से एक हैं वह भक्ति आंदोलन को प्रमुख संत हुआ करते थे और समाज में सामान्य प्रेम और भाईचारे का संदेश भी देते थे उनकी अद्भुत कहानियां में से एक कहानी हमें सिखाती है किईश्वर की शक्ति और भक्ति और सच्चाई के मार्ग पर चलने वाला व्यक्ति को कोई हमेशा नहीं रोक सकता हैं  कहानी उनकी जरूर कहीं ना कहीं सुना होगा।

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Sant Ravidas ji Maharaj ki kahani | संत रविदास जी कहानी

 गंगा स्नान और ब्राह्मणों का अहंकार

कहा जाता है कि एक बार काशी के कुछ ब्राह्मण में संत रविदास जी से कहा कि केवल उनके उच्च जाति के लोग ही गंगा में स्नान करके पवित्र हो सकते हैं और उनकी पूजा अर्चना को कर सकते हैं ।

संत रविदास जी जो की एक साधारण मोची थे जो चर्मकार परिवार से आते हैं इन विचारधाराओं के हमेशा विरोधी थे ,एक दिन जब यह ब्राह्मण गंगा स्नान के लिए जा रहे थे ।

उन्होंने संत रविदास से पूछा आप हमारे साथ गंगा स्थान क्यों नहीं करते संत रविदास जी मुस्कुराए और बोले ईश्वर की सच्ची भक्ति किसी विशेष स्थान या जल से नहीं बल्कि मन की पवित्रता से होती है अगर भक्ति सच्ची है तो गंगा स्वयं भक्त के पास आ सकती है । ब्राह्मणों ने उनका उपहास किया और आगे बढ़ गए संत रविदास जी अपने स्थान पर ही राम नाम के स्वर में मग्न हो गए अचानक एक चमत्कार हुआ गंगा नदी का जल स्वयं है ।

उनकी झोपड़ी के पास आ गया यह देखकर ब्राह्मण आश्चर्य चकित हो गए और समझ गए की सच्ची भक्ति और जाति का कोई लें देन नहीं है,हमेशा सच्ची भक्ति भगवान से जुड़ती मिली रहती है।

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राजा और संत रविदास जी का चमत्कार

एक बार की बात है राजा नगर में एक बड़ा यज्ञ करवाते हैं जिसमें कई विद्वान पंडित और ब्राह्मणों को बुलाया गया संत रविदास जी को आमंत्रित किया गया । लेकिन कुछ लोगों ने राजा से कहा कि यह तो निम्न जाति के हैं उन्हें सम्मान देना उचित नहीं है राजा संत रविदास की परीक्षा लेना चाहते थे।

 इसलिए उन्होंने दरबार में सोने का कंगन दिया दिया और कहां इस कंगन को पहन कर देखिए क्या आपको यह पसंद आता है। रविदास जी ने उत्तर दिया राजन मुझे इस कंगन की आवश्यकता नहीं है , इसे आप किसी और को दे दे राजा ने फिर से कहा इसे स्वीकार करें यह बहुत मूल्यवान है ।

तब संत रविदास जी बोले राजन असली आभूषण सोने या चांदी में नहीं बल्कि सच्ची भक्ति और सिवान से बनते हैं मेरे लिए प्रभु का नाम ही सबसे बड़ा आभूषण है । यह सुनकर राजा और दरबार में प्रसिद्ध सभी लोग उनकी भक्ति से प्रभावित हुए और उन्हें सच्चा संत मानकर उनका हमेशा सम्मान करने लगे ।

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संत रविदास जी का अंतिम संदेश

संत रविदास जी ने पूरे जीवन में जात-पात ऊंच नीच जैसे सामाजिक भेदभाव का विरोध हमेशा से किया और कहा यदि मन पवित्र है । तो हर स्थान गंगा के समान है और उनकी शिक्षा ने समाज को प्रेम भाईचारे और समता का संदेश दिया ।संत रविदास जी की अद्भुत कहानी हमें सिखाती है ईश्वर तक पहुंचाने के जाति धर्म या बाहरी आडंबर की आवश्यकता नहीं है । बल्कि सच्ची भक्ति प्रेम और सेवा भाव भी सभी बड़ी शक्ति है हमें हमेशा अपने मूल्य के प्रति जागरूक होना चाहिए ।

संत रविदास जी की कहानी है ,देखने और सुनने के लिए हमें यूट्यूब चैन @storiesbgulabgautam पर भी फॉलो कर सकते हैं और या Hindistories24.com इस पेज को सेव करके रखें और आगे पढ़ सकते है

धन्यवाद,

जय हिंद

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