Hindi Friendship Moral Story

Hindi Friendship Moral Story

 

रंगों की दोस्ती | Hindi Friendship Moral Story

गांव के एक छोटे से स्कूल में सात दोस्त थे – राजू, मोहन, अमन, सूरज, अजय, रोहित और विशाल। ये सभी हमेशा साथ खेलते, पढ़ते और एक-दूसरे की मदद करते थे। पूरे गांव में उनकी दोस्ती की मिसाल दी जाती थी। लेकिन इस बार होली के त्योहार ने उनकी दोस्ती की परीक्षा लेने की ठान ली थी। गांव में होली की तैयारियां जोरों पर थीं। सभी दोस्त अपने-अपने घरों में पकवान बनवाने और रंगों की खरीदारी में लगे हुए थे। सबके मन में होली को लेकर एक अलग ही उत्साह था। लेकिन तभी राजू ने एक चुनौती दे दी

 

देखते हैं इस बार होली में कौन सबसे ज्यादा रंग लगाएगा और किसका चेहरा सबसे ज्यादा रंगीन होगा! सभी दोस्त इस चुनौती को मान गए। हर कोई सोच रहा था कि वह सबसे आगे रहेगा और सबसे ज्यादा रंग लगाएगा। धीरे-धीरे यह एक खेल से ज्यादा प्रतिस्पर्धा बन गई।  अगले दिन होली आई। सभी दोस्त अलग-अलग समूहों में बंट गए और एक-दूसरे पर रंग डालने लगे। पहले तो सब हंसी-मजाक में खेल रहे थे, लेकिन जल्द ही यह मुकाबला गंभीर हो गया।

 

मोहन ने अजय के चेहरे पर इतना ज्यादा रंग लगा दिया कि उसकी आँखों में जलन होने लगी। अमन ने राजू के कपड़ों पर पानी और कीचड़ डाल दिया, जिससे वह नाराज़ हो गया। धीरे-धीरे खेल झगड़े में बदल गया, और सब दोस्त आपस में लड़ने लगे।

 

तुमने मुझ पर इतना गीला रंग क्यों डाला? तुमने मेरी नई शर्ट क्यों खराब कर दी?अब मैं तुमसे कभी बात नहीं करूंगा! देखते ही देखते, जो दोस्त हमेशा साथ रहते थे, वे एक-दूसरे से नाराज़ होकर अलग-अलग बैठ गए। किसी को समझ नहीं आ रहा था कि उनकी प्यारी होली कब लड़ाई में बदल गई।

तभी गांव के सबसे बुजुर्ग दादा जी वहां आए। वे बच्चों की यह हालत देखकर मुस्कुराए और बोले,  बच्चों, क्या रंगों का त्योहार हमें अलग करने के लिए होता है? होली तो प्यार और दोस्ती का त्योहार है। क्या तुमने कभी सोचा है कि अगर गुलाबी रंग हरे रंग से कहे कि मैं सबसे अच्छा हूँ, और लाल रंग नीले रंग से लड़ने लगे, तो होली कैसी लगेगी

 

सभी दोस्त एक-दूसरे की ओर देखने लगे। विशाल ने धीरे से कहा, “होली तो बेरंग लगने लगेगी, दादा जी!” दादा जी ने प्यार से समझाया, “बिल्कुल सही! जब सारे रंग मिलकर इंद्रधनुष बनाते हैं, तभी वह खूबसूरत दिखता है। इसी तरह, जब दोस्त मिलकर त्यौहार मनाते हैं, तभी असली खुशी आती है।”

दादा जी की बात सुनकर सभी दोस्तों को अपनी गलती का एहसास हुआ। अजय ने मोहन से माफी मांगी ,राजू ने अमन को गले लगाया और सभी ने मिलकर फिर से हंसते-खेलते रंग खेलना शुरू कर दिया। अब कोई जीतने या हारने की होड़ में नहीं था। सबने मिलकर खूब गुलाल उड़ाया, गुझिया खाई, ढोल बजाया और नाच-गाना किया। गांव में फिर से रंगों की दोस्ती खिल उठी!

 

होली केवल रंगों का नहीं, बल्कि प्यार और दोस्ती का त्योहार है। त्योहारों का असली आनंद तभी आता है जब हम मिलकर खुशी मनाते हैं, न कि एक-दूसरे से प्रतिस्पर्धा करके। ये कहानी Hindi Friendship Moral Story दोस्ती का रिश्ता किसी भी रंग से बढ़कर होता है। सच्चे दोस्त इंद्रधनुष के रंगों की तरह होते हैं जब सभी मिलते हैं, तभी असली खूबसूरती नजर आती है!

ये Hindi Friendship Moral Story कैसी लगी कॉमेंट में बताए और ऐसे ही कहानी video देखने के लिए @Storiesbgulabgautam को youtube पे  follow कर सकते है

धन्यवाद,जय हिंद

 

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