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नवरात्रि 2025 (सितंबर – अक्टूबर)इस नवरात्रि में क्या रंग होने वाले और माता का उद्देश्य क्या होता है ,हर दिन नया रंग कुछ न कुछ सिखाता है।
Navratri Day 1 – 22 सितम्बर 2025 (सोमवार)
माँ शैलपुत्री – रंग: सफेद
उद्देश्य: शांति और धैर्य की प्राप्ति।
Navratri Day 2 – 23 सितम्बर 2025 (मंगलवार)
माँ ब्रह्मचारिणी – रंग: लाल
उद्देश्य: तपस्या, संयम और भक्ति की शक्ति।
Navratri Day 3 – 24 सितम्बर 2025 (बुधवार)
माँ चंद्रघंटा – रंग: शाही नीला
उद्देश्य: साहस और निर्भयता का वरदान।
Navratri Day 4 – 25 सितम्बर 2025 (गुरुवार)
माँ कूष्मांडा – रंग: पीला
उद्देश्य: ऊर्जा, स्वास्थ्य और समृद्धि।
Navratri Day 5 – 26 सितम्बर 2025 (शुक्रवार)
माँ स्कंदमाता – रंग: हरा
उद्देश्य: मातृत्व, करुणा और मोक्ष।
Navratri Day 6 – 27 सितम्बर 2025 (शनिवार)
माँ कात्यायनी – रंग: धूसर (ग्रे)
उद्देश्य: शक्ति, साहस और विजय।
Navratri Day 7 – 28 सितम्बर 2025 (रविवार)
माँ कालरात्रि – रंग: नारंगी
उद्देश्य: भय का नाश और सुरक्षा।
Navratri Day 8 – 29 सितम्बर 2025 (सोमवार)
माँ महागौरी – रंग: मोर-हरा
उद्देश्य: शुद्धता और सौभाग्य।
Navratri Day 9 – 30 सितम्बर 2025 (मंगलवार)
माँ सिद्धिदात्री – रंग: गुलाबी
उद्देश्य: सिद्धि, ज्ञान और आध्यात्मिक शक्ति।
Vijayadashami / Dussehra – 2 अक्टूबर 2025 (गुरुवार)
एक छोटे से गाँव में एक गरीब ब्राह्मण रमेश रहता था। रमेश के पास बहुत कुछ नहीं था—बस अपने कपड़े, कुछ राशन और भगवान पर अटूट विश्वास। हर दिन वह मंदिर जाकर पूरे मन से भगवान शिव की भक्ति करता।
गाँव में एक निर्दयी जालंधर था, जिसे लोगों के डर और शक्ति में मज़ा आता था। उसने सोचा, “इस ब्राह्मण रमेश की इतनी भक्ति! क्या सचमुच भगवान उसकी मदद करेंगे?”
एक दिन गाँव में भयंकर बाढ़ आई। लोग अपने घर छोड़कर भागे। रमेश भी पानी में फँस गया। जालंधर ने उसे पकड़ लिया और कहा,
“तुम जैसे गरीब और नादान लोग भगवान से क्या कर सकते हैं? अब तुम्हारा अंतिम समय है!”
रमेश ने विनम्रता से कहा,
“हे जालंधर! अगर आप मुझे मारना चाहते हैं, तो कर दीजिए। पर मेरा विश्वास है कि भगवान मेरी रक्षा करेंगे।”
जैसे ही जालंधर ने उसे पकड़ने की कोशिश की, अचानक पानी के बीच से एक विशाल मगरमच्छ आया और रमेश को अपने पीठ पर लेकर सुरक्षित किनारे तक पहुँचाया। जालंधर हैरान रह गया। उसने देखा कि रमेश जीवित बच गया, और उसकी भक्ति ने उसे अजेय बना दिया।
उस दिन जालंधर ने पहली बार महसूस किया कि शक्ति केवल डर और बल से नहीं आती, बल्कि सच्ची भक्ति और विश्वास से आती है। उसने रमेश से क्षमा मांगी और जीवन बदल दिया।
गाँव वाले समझ गए कि भक्ति में इतनी शक्ति है कि वह किसी भी भय और अत्याचार को पार कर सकती है।
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धन्यवाद, जय हिंद