Buddha-बुद्ध कहते है मन हारने लगे तो हमेशा मजबूत होकर किसी भी परिस्थितियों सामना करना 

जीवन जीना अगर आसान होता तो कोई दुनिया में परेशान न रहता ये वाक्या पूरा देखना और। पढ़ना अंत तक जीवन में हर जगह ये बाते काम आएंगी  बुद्ध कहते है मन हारने लगे तो हमेशा मजबूत होकर किसी भी परिस्थितियों का सामना करना मैं हु आपका दोस्त गुलाब,और आपका स्वागत करता हु आज के ब्लॉग पर चलते है कहानी की तरफ

बहुत समय पहले की बात है, जब गौतम बुद्ध अपने अनुयायियों के साथ एक गांव में पहुंचे। उस गांव में एक गरीब और बीमार व्यक्ति रहता था जिसका नाम सुशीत था। सुशीत की स्थिति बहुत दयनीय थी; उसकी बीमारी ने उसे और भी जीवन अधिक असहाय बना दिया था। उसकी स्थिति इतनी खराब थी कि वह ठीक से चल भी नहीं सकता था, और उसके पास उपचार के लिए कोई साधन भी नहीं था।

बुद्ध कहते है मन हारने लगे तो हमेशा मजबूत होकर किसी भी परिस्थितियों का सामना करना 

गांव के लोग सुशीत से दूर रहते थे, क्योंकि उनकी बीमारी को देखकर उन्हें लगता था कि वह संक्रामक हो सकती है। लेकिन की उपस्थिति ने सबको उम्मीद की कि सुशीत की स्थिति बदल सकती है। बुद्ध ने सुशीत की कहानी सुनी और उसकी स्थिति को समझा। उन्होंने सुशीत से मिलने का निर्णय लिया।

 बुद्ध कहते है मन हारने लगे तो हमेशा मजबूत होकर किसी भी परिस्थितियों का सामना करना 

जब बुद्ध सुशीत के झोपड़ी में पहुंचे, तो उन्होंने देखा कि सुशीत बिस्तर पर पड़ा था, और उसके चारों ओर गंदगी फैली हुई थी। बुद्ध ने सुशीत से धीरे से पूछा, “तुम्हारी स्थिति कैसी है? तुम्हें किसी चीज़ की आवश्यकता है?”

 बुद्ध कहते है मन हारने लगे तो हमेशा मजबूत होकर किसी भी परिस्थितियों का सामना करना

सुशीत ने सिर झुकाते हुए उत्तर दिया, “भगवान, मैं बहुत बीमार हूँ और मेरे पास इलाज के लिए कोई साधन नहीं है। मैं अब कोई आशा नहीं देखता।”

बुद्ध ने सुशीत की स्थिति पर गहरी संवेदनाएँ व्यक्त की और कहा, “मैं तुम्हारी सहायता करने का प्रयास करूंगा। लेकिन इससे पहले, मैं तुमसे एक अनुरोध करना चाहता हूँ। कृपया मुझे अपनी समस्याएँ पूरी तरह से बताओ।”

सुशीत ने अपनी पूरी व्यथा बुद्ध को सुनाई। उसने बताया कि उसके पास कोई परिवार नहीं है, और उसने अपने जीवन में कभी किसी की मदद नहीं की थी। इस सब के बीच, बुद्ध ने ध्यानपूर्वक उसकी बातें सुनीं और कहा, “मैं तुम्हारी स्थिति को बदलने के लिए यहाँ आया हूँ, लेकिन इससे पहले, मैं तुम्हें एक विशेष उपाय बताना चाहता हूँ।”

बुद्ध ने सुशीत को एक साधारण नियम सिखाया: “हर दिन, तुम अपनी बीमारी के बावजूद किसी की सहायता करो। यह सहायता छोटी भी हो सकती है, लेकिन इसका महत्व बड़ा होगा। जब तुम दूसरों की मदद करोगे, तो तुम्हारी खुद की स्थिति भी बदलने लगेगी।”

सुशीत को यह सलाह अजीब लगी, लेकिन उसने बुद्ध की बातों को माना। उसने अपने सीमित साधनों के अनुसार, आसपास के गांव वालों की छोटी-छोटी जरूरतों में मदद करना शुरू किया। शुरू में, उसे कठिनाई महसूस हुई, लेकिन धीरे-धीरे उसकी स्थिति में सुधार आने लगा। उसकी बीमारी कम होने लगी, और उसने महसूस किया कि उसकी आत्मा में भी शांति का अनुभव होने लगा।

बुद्ध कहते है मन हारने लगे तो हमेशा मजबूत होकर किसी भी परिस्थितियों का सामना करना

कुछ महीनों बाद, सुशीत पूरी तरह से स्वस्थ हो गया और उसकी स्थिति में भारी सुधार हुआ। अब, वह गांव का एक सम्मानित सदस्य बन चुका था और हर दिन लोगों की सहायता करता था। उसने सीखा कि दूसरों की मदद करने से ही वास्तव में खुद की स्थिति बदलती है और आत्मा को शांति मिलती है। बुद्ध कहते है मन हारने लगे तो हमेशा मजबूत होकर किसी भी परिस्थितियों का सामना करना

बुद्ध की शिक्षा ने सुशीत की जिंदगी बदल दी। इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि खुद की स्थिति को सुधारने के लिए दूसरों की मदद करना महत्वपूर्ण है। दया और सेवा का भाव न केवल समाज को बेहतर बनाता है, बल्कि हमारे अपने जीवन में भी सकारात्मक परिवर्तन लाता है।कहते है मन हारने लगे तो हमेशा मजबूत होकर किसी भी परिस्थितियों का सामना करना

ये कहानी कैसी लगी आपको और आपके परिवार को कॉमेंट में बताईए

खुश रहो खुशहाल रहो, जीवन को प्रेरित करते रहो

जय हिंद

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