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Gautam Buddha Story In Hindi | गौतम बुद्ध की कहानियां हिंदी
गौतम बुद्ध ने अहिंसा, करुणा, और मध्यम मार्ग का उपदेश दिया, जिससे लाखों लोग उनके अनुयायि बने और पुरे विश्वभर में बौद्ध धर्म का प्रसार किया ।
1.बुद्ध और अंगुलिमाल (Gautam Buddha Story In Hindi)
एक समय की बात है जब अंगुलिमाल एक कुख्यात डाकू हुआ करता था और वह अपने किए हुए अपराधों का दंड भुगतने से बचने के लिए घने जंगल में छिप जाता है।
एक दिन गौतम बुद्ध भी उसी जंगल से जा रहे थे तभी अंगुलिमाल अचानक से उनके सामने आता है। गौतम बुद्ध अंगुलिमाल को देख शांति से पूछते की वह कहां जा रहा है। पर अंगुलिमाल गौतम बुद्ध को पहचान नहीं पाता और वह उन पर अपने हथियार से हमला करने की कोशिश करता है।
गौतम बुद्ध अपने ऊपर हमला होते हुए देखकर भी गौतम बुद्ध बिना डरे वे वही डटे खड़े रहते हैं। यह देख अंगुलिमाल चकित होता है और वह गौतम बुद्ध से पूछता है की वह जब उन पर हमला कर रहा था तब वे इतने शांत कैसे थे और वो भी बिना डरे हुए। तभी गौतम बुद्ध जवाब देते है और शांत स्वर में अंगुलिमाल से कहते हैं, “सुनो मैं पहले ही यहां से जा चुका हूं।” अंगुलिमाल गौतम बुद्ध का उत्तर सुनकर वह उनके शांत स्वभाव से प्रभावित होता है और वह अपना डाकू जीवन त्याग कर गौतम बुद्ध का शिष्य बन जाता है।
जीवन में क्षमा के महत्व को महत्व है। जीवन में भले ही कोई कितना भी पाप क्यों ना कर चुका हो पर उसके पास हमेशा सुधरने का मौका जरूर होता है।
2.तालाब का पानी (Gautam Buddha Story In Hindi)
गौतम बुद्ध एक बार एक गांव के पास से गुजर रहे होते है तभी अचानक गौतम बुद्ध को प्यास लगी तो उन्होंने अपने एक शिष्य से कहा की हम इस पेड़ के निचे रुकते है तुम जाकर गांव का जो तालाब है वहा से पानी भरकर इस घड़े में लेकर आ जाओ।
तो शिष्य जो था गुरुदेव की बात मानते हुए तालाब के पास पानी लाने जाते है और जब वह तालाब के पास पहुंचता है तो देखता है की कुछ किसान जो है अपने जानवरों को साफ कर रहे है और कुछ महिलाएं अपने कपडे धो रही होती है तभी वह समझ जाता है की तालाब का पानी गंदा है और शिष्य को समझ में नहीं आया की इतना गंदा पानी गुरुदेव के लिए लेकर कैसे जाऊं?
थोड़ी देर उसने इंतजार किया और वापस वह गौतम बुद्ध के पास चला गया और उसने गौतम बुद्ध से कहा की माफ़ी चाहूंगा गुरुदेव में पानी लाना चाहता था लेकिन पानी इतना गंदा है की में पानी भरकर ला नहीं पाया।
गौतम बुद्ध ने उस शिष्य से कहा की हम सब यही आराम कर लेते है थोड़ी देर तुम भी आराम कर लो और आधे घंटे के बाद गौतम बुद्ध ने फिर उस शिष्य से कहा की तुम जाओ और तालाब से इस घड़े में पानी भरकर ले आओ जब वो शिष्य तालाब के पास पहुंचता है और देखता है की तालाब की जो मिट्टी थी वह निचे बैठ चुकी है और पानी साफ हो चुका है।
शिष्य ने घड़े में पानी भरकर वापस गौतम बुद्ध के पास आया और बोला गुरुदेव मुझे समझ नहीं आया की तालाब का पानी साफ कैसे क्या हो गया तभी गौतम बुद्ध ने शिष्य से कहा यह बात में तुम्हे समझाना चाहता था की जिस तरह तालाब का पानी आधे घंटे में साफ हो गया ठीक ऐसा हमारा दिमाग है।
3.जीवन का असली दुःख (Gautam Buddha Story In Hindi)
एक बार गौतम बुद्ध गांव में धर्म सभा को सम्बोधित कर रहे थे। लोग अपनी समस्याओं को लेकर उनके पास जाते और उनका हल पाकर खुशी से वह लौट जाते उसी गांव के रास्ते के किनारे एक गरीब बूढ़ा व्यक्ति भिक्षा मांगने के लिए बैठा रहता है और धर्म सभा में जाने वाले सभी लोगों को ध्यान से देखते रहता है।
वह गरीब व्यक्ति देखता है की सभी लोग अंदर तो दुखी जाते है पर जब वापस आते है तो बड़े प्रसन्न दिखाई देते है और यह चीजे देखकर वह गरीब व्यक्ति बहुत ही आश्चर्यचकित हुआ उस गरीब को लगा की क्यों ना में भी अपनी समस्या गौतम बुद्ध को बताऊं और मन में यह विचार लिए वह गौतम बुद्ध के पास जाता है।
जब वह गरीब व्यक्ति वहा पहुंचा तो उसने देखा की सभी लोग अपनी समस्या गौतम बुद्ध को बता रहे होते है और गौतम बुद्ध मुस्कुराते हुए सब की समस्या हल कर रहे होते है और जब उसकी बारी आई तो उसने गौतम बुद्ध को प्रणाम किया और कहा की भगवान इस गांव में सभी लोग खुश और समृद्ध है में ही क्यों गरीब हू।
गौतम बुद्ध मुस्कुराते हुए उस व्यक्ति को बोले क्यों की तुमने आज तक किसी को कुछ नहीं दिया तब वह व्यक्ति बोला भगवान मेरे पास दूसरों को देने के लिए क्या होगा मेरा खुद गुजारा बड़ी मुश्किल से हो जाता है और लोगो से भीख मांगकर में अपना पेट भरता हु।
गौतम बुद्ध बोले तुम बड़े अज्ञानी हो ईश्वर ने बाटने के लिए तुम्हे बहुत कुछ दिया है और तुम्हे मुस्कराहट दी है जिससे तुम आशा का संसार कर सकते हो, मुंह से अच्छे शब्द बोल सकते हो, दोनों हाथों से लोगों की मदद कर सकते हो और ईश्वर ने जिसे यह तीन चीजे दी है वह कभी गरीब और निर्दई नहीं हो सकता है और निर्धन का विचार सिर्फ आदमी के दिमाग में होता है और यह एक भ्रम है इसे दिमाग से निकाल दो।
गौतम बुद्ध की यह बाते सुनकर उस व्यक्ति का चेहरा चमक उठता है और वह समझ जाता है की दुखी और गरीब होना एक भ्रम है ना की वास्तविकता होती है। हम जैसा सोचते है वैसे ही हम अपने जीवन में बनते है इसीलिए अपने जीवन में अच्छे विचार और सोच का होना बहुत जरुरी होता है।
4.जैसी जिसकी भावना (Gautam Buddha Story In Hindi)
एक बार भगवान बुद्ध प्रवचन दे रहे थे और अपना प्रवचन खत्म कर उन्होंने आखिर में कहा की जागो समय हाथ से निकला जा रहा है और सभा खत्म होने के बाद उन्होंने अपने प्रिय शिष्य आनंद से कहा की चलो कुछ देर घूम कर आते है।
आनंद बुद्ध के साथ चल दिए जब दोनों सभा मंडप के मुख्य द्वार तक पहुंच गए थे की वो दोनों मुख्य द्वार के एक किनारे खड़े हो गए और प्रवचन सुनने आए लोग एक-एक कर बाहर निकल रहे थे इसीलिए मुख्य द्वार पर भीड़ जमा हो गई थी।
अचानक उनमें से एक महिला बुद्ध से मिलने आई तभी उसने कहा की तथागत में नर्तकी हू और आज नगर एक बड़े सेठ के घर मेरे नृत्य का कार्यक्रम पहले से तय था लेकिन में उसके बारे में भूल चुकी थी।
जब आपने कहा की समय निकला जा रहा है तो मुझे इस बात की याद आयी और वह नर्तकी तथागत को धन्यवाद कर वहा से चली गई अब उसके बाद एक डकैत बुद्ध के पास आया और बोला तथागत में आप से कोई बात छिपाऊंगा नहीं में भूल गया था की आज मुझे एक जगह डाका डालने जाना है पर आज आपका उपदेश सुनने के बाद मुझे अपनी योजना याद आयी और वह भी भगवान बुद्ध को धन्यवाद कहकर वहा से निकल जाता है।
डकैत के जाने के बाद धीरे-धीरे चलकर एक बूढ़ा व्यक्ति बुद्ध के पास आया और कहा की तथागत जिंदगी भर बुनियादी चीजों के पीछे भागता रहा अब मौत का सामना करने का दिन नजदीक आ रहा है तब मुझे लगता है की सारी जिंदगी यूं ही बेकार हो गई आपके बातो से आज मेरी आँखें खुल गई और आज से में अपने सब मोह माया छोड़कर निर्वाण के लिए प्रयत्न करना चाहता हू।
जब सब लोग चले गए तब बुद्ध ने आनंद से कहा प्रवचन मैंने एक ही दिया लेकिन उसका हर किसी ने अलग-अलग मतलब निकाला और जिसकी जितनी झोली होती है उतना ही दान वह समेट पाता है।
निर्वाण प्राप्ति के लिए भी मन की झोली को उसके लायक होना होता है इसके लिए मन का शुद्ध होना बहुत जरुरी होता है।
5.घमंडी राजा (Gautam Buddha Story In Hindi)
एक बार एक राजा गौतम बुद्ध के पास आया आश्रम में बहुत भीड़ थी तभी राजा ने बुद्ध से आग्रह किया की वह उनसे एकांत में कुछ कहना चाहता है अब बुद्ध बोले सर्वत्र एकांत है और तुम्हे जो बोलना है वह यही बोलो तब राजा बोला की में संन्यास लेना चाहता हू।
यह सुनकर बुद्ध थोड़ा गंभीर हो गए वे बोले की तुम्हे सन्यासी होने के लिए और दीक्षा देने से पहले मेरी एक शर्त का पालन करना होगा राजा ने कहा की जब दीक्षा लेनी है और संतुष्ट होना ही है तो सब शर्ते मंजूर है।
बुद्ध ने राजा को आदेश दिया की अपने कपडे और जुते उतारकर अपने राजधानी के राज मार्ग पर स्वय को जुते मारते हुए चक्कर लगाकर आओ अब राजा ने वही किया और उसके चले जाने पर शिष्यों ने बुद्ध से कहा की जब हम दीक्षा लेने आए थे तब आपने ऐसी कठोर शर्त नहीं लगाई थी और आप स्वयं करुणा अवतार है फिर राजा के साथ ऐसा कठोर व्यवहार क्यों?
जब तुम लोग संन्यास लेने आए थे तो तुम्हारे अहंकार बहुत बड़ा नहीं था इसलिए तुमसे द्वार-द्वार भिक्षा मांगकर ही काम बन गया था पर यह तो राजा है और इसका अहंकार भी बड़ा है इसीलिए महारोग की दवाई भी अधिक शक्ति शाली होनी चाहिए और राजा जब इस दशा में अपने ही प्रजा के सामने से गुजरेगा तो उसका अहंकार खत्म चुका होगा।
राजा ने शाम तक शर्त पूरी कर ली और बुद्ध के पास आकर कहने लगा तथागत मुझे दीक्षा देकर अब तो तभी बुद्ध ने राजा के सर पर मुकुट रखा और कहा की अब तुम्हे सन्यास लेने की जरुरत नहीं है अब तुम जाओ और स्वामी भाव छोड़कर सेवक भाव से राज्य करो।
कभी भी जीवन में ज्यादा घमंडी नहीं बनना चाहिए क्यों की वही हमारे दुःख और असफलता का कारण होता है।
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