Hindi moral pigeon story | कबूतर की वफ़ादारी

Hindi moral pigeon story | कबूतर की वफ़ादारी

एक बार की बात है बहुत समय पहले एक शांत और सुंदर गांव था ,जहां हर कोई मिलजुल कर रहता था गांव के किनारे एक बूढ़ा डाकिया उनका नाम राम था। उनकी उम्र चिट्ठियां बांटने लायक नहीं रह गई थी,पर उनकी पहचान गांव में अभी वहीं थी ।

डाकिया वाले राम काका की ,राम काका को कबूतरों से बहुत लगाव था,कबूतरों के उनके घर के पिछवाड़े एक बड़ा सा पिंजरा था, जिसमें कई कबूतर रहते थे ,उसमें से एक कबूतर था ,”सुभा “रामू काका का सबसे प्रिय कबूतर सुभा सभी कबूतरों से अलग था ,चतुर समझदार और बेहद वफादार था ।
Hindi moral pigeon story | कबूतर की वफ़ादारी
अगर यह बोल सकता तो सबसे बड़ा डाकिया बन जाता एक बार की बात है गांव में एक बड़ा उत्सव होने वाला था ,गांव का सालाना मेला गांव के कई लोगों को आमंत्रण भेजना था, लेखी। डाकखाना कई दिनों के लिए बंद था मोबाइल और इंटरनल जैसे सुविधा उस समय नहीं थी।
 ऐसे में राम काका ने एक साहसिक विचार सोच उसने सुभा को संदेश वाहक कबूतर बनाने का निश्चय किया ,छोटे-छोटे संदेश कागजों पर लिखकर उन्हें हल्के से मोड़कर और सुभा के पैरों में बांध दिए और सुभा को पास के गांव में भेजा गया, सुभा में बिना रास्ता भूले भटके सभी गांव में संदेश पहुंचाएं। हर कोई हैरान था कि रामू काका का कबूतर इतना समझदार कैसे हो सकता है ,धीरे-धीरे सुभा मशहूर हो गया ,लोगों उसे “संदेशवाहक शुभा” कहने लगे ।
एक दिन की बात है पास के राज्य में एक युद्ध जैसी स्थिति बन गई , सेना को जल्दी सूचना देनी पर सभी रास्ते बंद थे कोई साधन नहीं था, तभी सेना ने रामू काका से मदद मांगी और शुभा की बात की । रामू काका ने थोड़ा सोचकर है कह दिया । रामू काका ने खास संदेश शुभा के पैरों में बांध दिया, फिर उसे आकाश में छोड़ दिया शुभा हवा को चीरता हुआ आगे बढ़ा और तेज हवाएं धूल, दक़्कड़, शिकारी पक्षी बहुत रुकावटें आई पर शुभा नहीं रुका,उसने समय पर संदेश से पहुंचा दिया। सेना ने समय रहते तैयारी कर ली ,गांव को सुरक्षित कर लिया और सुभा पूरे जिले का हीरा बन गया।
अचानक शुभ एक दिन बीमार हो गया ,शायद मौसम की मार या उम्र का असर । राम काका ने कोशिश की वेद को बुलाया दवाई दी पर शुभा की हालत में कोई सुधार न आया ।
एक दिन में रामू काका की गोद में चुपचाप सो गया हमेशा के लिए ।
गांव में ग़म का माहौल था, रामू काका और सबने मिलकर शुभा के नाम का एक छोटा स्मारक बनाया केवल उसका नाम लिखा ,और लिखा ,
यह विश्राम करता है शुभा ,जो सिर्फ एक पक्षी नहीं बल्कि संदेश का सच्चा वाहक था ,गांव का सच्चा सेवक था, वक्त बिता गया मगर शुभा की कहानी हर मेले में सुनाई जाती है ।
Hindi moral pigeon story | कबूतर की वफ़ादारी,बच्चे कबूतरों को केवल पंछी नहीं ,बल्कि बहादुर साथी समझने लगे, रामू कहा कबूतरों को दाना खिलाने और धीरे-धीरे एक और शुभा के तलाश में रहने लगे।
यह छोटी सी कहानी  Hindi moral pigeon story | कबूतर की वफ़ादारी की हमें यह सिखाती है ,सच्ची निष्ठा साहस और सेवा करने का जस्बा किसी भी रूप में हो सकता है ,चाहे वह इंसान हो पक्षी हो या जानवर हम चाहे जो भीचाहे कर सकते है बस मन में लगन है और मार्गदर्शन सही है ,तो कोई भी असंभव काम मुमकिन हो सकता है यह कहानी मुझे बहुत प्रेरणा देती है ।
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धन्यवाद ,
जय हिंद

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